करमा पूजा कब है 2024 ? करमा पूजा का रहस्य करमा नृत्य गीत 2024 –

करमा पूजा कब है 2024

करमा पूजा कब है 2024 ?

करमा पूजा इस साल 14 सितंबर को मनाई जाएगी । यह पर्व भादों मास की एकादशी को मनाया जाता है और झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित देश विदेश में पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है ।

करमा पूजा कौन भगवान का होता है?

करमा पूजा भगवान धर्म के राजा करम देव की पूजा के लिए समर्पित है। करम देव को शक्ति, यौवन और युवावस्था के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह पूजा अच्छी फसल और स्वास्थ्य के लिए की जाती है। करमा पूजा के दौरान लोग करम देव की पूजा करते हैं, नृत्य करते हैं और गाना गाते हैं।

करमा का अर्थ क्या है?

करमा का अर्थ है “फसल” या “उगाया हुआ”। यह शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है और इसका उपयोग फसलों के संदर्भ में किया जाता है। करमा पूजा के संदर्भ में, करमा का अर्थ है फसलों की पूजा और उनके लिए कृतज्ञता व्यक्त करना।

करमा गीत कब गाया जाता है?

करमा गीत आमतौर पर करमा पूजा के अवसर पर गाया जाता है, जो भादो महीने की एकादशी को मनाया जाता है। यह गीत भगवान करम देव की स्तुति और पूजा के लिए गाया जाता है, और इसमें फसलों की उगाई और समृद्धि के लिए कृतज्ञता व्यक्त की जाती है। करमा गीत अक्सर समुदाय के लोगों द्वारा सामूहिक रूप से गाया जाता है, और इसमें नृत्य और वाद्यों का भी उपयोग किया जा सकता है।

करम का पेड़ क्या है?

करम का पेड़ करमा पूजा से जुड़ा एक पवित्र पेड़ है, जिसे करम का पेड़ या करम का रुख कहा जाता है। यह पेड़ आमतौर पर एक विशेष प्रजाति का पेड़ होता है, जैसे कि करम का पेड़, जो झारखंड और छत्तीसगढ़ में पाया जाता है।

करमा नृत्य कैसे किया जाता है

करमा नृत्य एक पारंपरिक नृत्य है जो करमा पूजा के अवसर पर किया जाता है। यह नृत्य आमतौर पर समूह में किया जाता है और इसमें निम्नलिखित बातें शामिल हैं:

गोलाकार घूमना: नृत्य करने वाले लोग एक गोलाकार में खड़े होते हैं और एक दूसरे के हाथ पकड़ते हैं।

गीत गाना: नृत्य के दौरान करमा गीत गाए जाते हैं, जो भगवान करम देव की स्तुति करते हैं।

तालमेल: नृत्य में तालमेल बेहद महत्वपूर्ण है। नृत्य करने वाले लोग एक साथ कदम रखते हैं और तालमेल से नृत्य करते हैं।

नृत्य की शैली: करमा नृत्य में झूमने, घूमने और कूदने की शैली शामिल होती है।

वाद्यों का उपयोग: नृत्य के दौरान वाद्यों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि ढोल, मांजीरा और बांसुरी।

करमा पर्व कितने प्रकार के होते हैं?

करमा पर्व मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:

  1. फूलों का करमा: यह पर्व भादो महीने की एकादशी को मनाया जाता है, जब फसलें पकने की अवस्था में होती हैं। इस पर्व में, लोग फूलों से सजे हुए करम के पेड़ की पूजा करते हैं और फसलों की समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।
  2. दानों का करमा: यह पर्व भादो महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है, जब फसलें पक कर तैयार हो जाती हैं। इस पर्व में, लोग दानों से सजे हुए करम के पेड़ की पूजा करते हैं और फसलों की कटाई के लिए कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।

इन दो प्रकार के करमा पर्वों के अलावा, कुछ स्थानों पर अन्य प्रकार के करमा पर्व भी मनाए जाते हैं, जैसे कि:

  • जौ-करमा: यह पर्व जौ की फसल की पूजा के लिए मनाया जाता है।
  • मक्का-करमा: यह पर्व मक्का की फसल की पूजा के लिए मनाया जाता है।
  • गहमा-करमा: यह पर्व गहमा (एक प्रकार की फसल) की पूजा के लिए मनाया जाता है।

करमा पूजा के पीछे की कहानी क्या है?

करमा पूजा के पीछे एक पौराणिक कहानी है, जो भगवान धर्म के राजा करम देव से जुड़ी हुई है। यह कहानी इस प्रकार है:

प्राचीन काल में, एक गाँव में एक किसान रहता था, जिसका नाम था करम। वह एक बहुत ही मेहनती और ईमानदार किसान था, जो अपनी फसलों के लिए बहुत सारा पसीना बहाता था। एक दिन, जब वह अपने खेत में काम कर रहा था, तो उसने एक सुंदर लड़की को देखा, जो एक पेड़ के नीचे बैठी हुई थी। वह लड़की भगवान धर्म के राजा करम देव की पुत्री थी, जो पृथ्वी पर घूमने के लिए आई थी।

करम ने उस लड़की से बात की और उसे अपने गाँव में ले आया। वह लड़की करम के साथ रहने लगी और दोनों ने शादी कर ली। शादी के बाद, करम की पत्नी ने उसे बताया कि वह भगवान धर्म के राजा करम देव की पुत्री है और उसने उसे अपनी असली पहचान बताई।

करम की पत्नी ने उसे बताया कि भगवान धर्म के राजा करम देव ने उसे पृथ्वी पर भेजा है ताकि वह लोगों को फसलों की पूजा करने के लिए प्रेरित करे। करम ने अपनी पत्नी की बात मानी और उसने अपने गाँव में फसलों की पूजा करना शुरू किया।

इस प्रकार, करमा पूजा की शुरुआत हुई और यह पर्व आज भी लोग मनाते हैं। यह पर्व भगवान धर्म के राजा करम देव की पूजा के लिए मनाया जाता है और लोग अपनी फसलों की पूजा करते हैं ताकि वे स्वस्थ और समृद्ध बनें।

करमा पूजा कैसे किया जाता है?

करमा पूजा एक पारंपरिक पूजा है जो भादो महीने की एकादशी को मनाई जाती है। यह पूजा भगवान धर्म के राजा करम देव की पूजा के लिए की जाती है और इसमें निम्नलिखित बातें शामिल हैं:

स्नान और साफ-सफाई: पूजा के दिन सुबह स्नान करने के बाद, घर की साफ-सफाई की जाती है।

पूजा की तैयारी: पूजा के लिए एक विशेष स्थान तैयार किया जाता है, जिसे “करम पूजा स्थल” कहा जाता है।

करम देव की पूजा: पूजा के दौरान करम देव की मूर्ति या चित्र की पूजा की जाती है।

फूलों की पूजा: फूलों की पूजा की जाती है, जो करम देव को अर्पित किए जाते हैं।

धूप और दीपक: धूप और दीपक जलाए जाते हैं ताकि पूजा के दौरान एक शांत और पवित्र वातावरण बना रहे।

भजन और कीर्तन: पूजा के दौरान भजन और कीर्तन गाए जाते हैं, जो करम देव की स्तुति करते हैं।

प्रसाद वितरण: पूजा के बाद, प्रसाद वितरित किया जाता है, जो भक्तों में बांटा जाता है।

करमा पूजा एक महत्वपूर्ण पूजा है जो भगवान धर्म के राजा करम देव की पूजा के लिए की जाती है। यह पूजा अच्छी फसल, स्वास्थ्य और समृद्धि के लिए की जाती है।

करमा पूजा कौन मनाता है?


करमा पूजा मुख्य रूप से झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम जैसे पूर्वी भारतीय राज्यों में मनाई जाती है। यह पूजा विशेष रूप से आदिवासी समुदायों जैसे कि मुंडा, संथाल, हो, गोंड, कुरुख और बिरहोर द्वारा मनाई जाती है।

और अधिक

Leave a comment